काउडंग और कंडा!
काउडंग और कंडा !
डॉ. रामवृक्ष सिंह, महाप्रबन्धक (हिन्दी)
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, प्रधान कार्यालय, लखनऊ
फोन- 7905952129
एक
मित्र मवेशियों के कच्चे, ताज़े गोबर और पथे हुए, सूखे गोबर यानी कंडे पर बात करते
हुए, दोनों के लिए काउडंग शब्द का प्रयोग कर रहे थे, तभी मुझे यह सूझा कि अंग्रेजी
के काउडंग और हिन्दी के कंडा शब्द में गहरे ध्वनि-साम्य के साथ-साथ अर्थ-साम्य भी
है। वैसे बताते चलें कि पाथे हुए गोबर, यानी कंडे, उपले, चिपरी, गोहरे आदि को
अंग्रेजी में डंग-केक भी कहते हैं।
काउडंग
से कंडा शब्द का विकास होने की संभावना अधिक लगती है, क्योंकि लोक-जीवन में अधिक
लंबे और जटिल संरचना वाले शब्दों को उच्चारण की दृष्टि से सरल और संक्षिप्त बनाने
की प्रवृत्ति रहती है। इसीलिए स्टेशन का टीसन बन गया और विश्वेश्वर का बिसेसर। ऐसे
हजारों शब्दों की ही शृंखला का एक सदस्य लगता है काउडंग, जो केवल सरलता की दृष्टि से कंडा बन गया
होगा। कालान्तर में उसका अर्थ-संकोच हुआ होगा और सूखे हुए गोबर मात्र को कंडा कहा जाने लगा होगा, फिर
चाहे वह गाय का हो या भैंस का (किन्तु किसी और जानवर का तो कतई नहीं)। बकरी गोबर
नहीं करती, लेंड़ी करती है। हाथी, घोड़ा आदि लीद करते हैं। डंग तो केवल गाय-भैंस
का ही होता है। ज़रूरी नहीं कि यह शब्द अंग्रेजी से ही आया हो। दोनों भाषाओं के
भारोपीय भाषा परिवार का होने के कारण कंडा शब्द का विकास काउडंग के ही समानान्तर
हुआ हो, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता।
आयुर्वेद
में बिनुवा कंडे का बड़ा महत्त्व है, यानी गाय का ऐसा गोबर जो चरागाह, खेत, वन आदि
में प्राकृतिक अवस्था में सूख गया हो, उसे बटोर कर पाथा न गया हो। पाथना यानी गोबर
में सूखा बेकार भूसा आदि मिलाकर सानने के बाद उसे गोल चिपटा अथवा लंबा आकार देते
हुए हाथ से जमीन पर पटक देना या किसी दीवार, मेंड़ आदि पर सलीके-से सटा देना, ताकि
वह वहाँ पड़ा-पडा सूख जाए और कालान्तर में जलाने के काम आ सके। इसके विपरीत यदि
नैसर्गिक रूप से, स्वतः सूखे हुए कंडे को बीन कर लाया जाए तो वह कहलाता है बिनुवा
कंडा। इस कंडे को जलाकर बहुत-सी आयुर्वेदिक औषधियाँ, अवलेह, आसव आदि बनाए जाते
हैं। मान्यता है कि बिनुवा कंडे पर बनी औषधि अपेक्षाकृत अधिक गुणकारी होती है।
काउडंग
की चर्चा होने पर मस्तिष्क में बुलशिट का बिम्ब भी आता है। यहाँ उल्लेखनीय है कि
काउडंग में एक प्रकार की सौम्यता का भाव है, जबकि बुलशिट में घृणा और हिकारत का।
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